बस्ती,विश्व गठिया दिवस पर डा. वी के वर्मा
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आज विश्व गठिया दिवस है। देशभर में इससे बचाव और जागरूकता के लिये कार्यक्रम आयोजित हो रहे हैं। देश में आर्थराइटिस से जुड़े मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है. भारत में करीब 18 करोड़ लोग इस बीमारी से पीड़ित हैं। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में करीब 5 लाख गठिया रोगी हैं। पुरुषों की अपेक्षा महिलाएं आर्थराइटिस की चपेट में ज्यादा आती हैं।
विश्व गठिया दिवस पर बस्ती के जिला अस्पताल में आयुष चिकित्साधिकारी डा. वी.के. वर्मा से बातचीत की गयी। उन्होने बड़ी बारीकी से इससे जुड़ी हर जानकारी दी। डा. वर्मा ने कहा नियमित दिनचर्या और खानपान से इस रोग पर काबू पाया जा सकता है। गठिया किसी एक कारण से नहीं होता. विटामिन डी की कमी से मरीज की अंगुलियों, घुटने, गर्दन, कोहनी के जोड़ों में दर्द की शिकायत होने लगती है। गठिया रोग से पीड़ितों को घुटनों के बल नही बैठना चाहिए। वेस्टन टॉयलेट का इस्तेमाल करना चाहिये। जोड़ो के तरल पदार्थ कॉर्टिलेज बरकरार रखने के लिए कसरत करें। पैदल अवश्य चलें। अत्याधिक सीढ़ियां चढ़ने से बचे। इस बीमारी पर काबू पाने के लिए फिजियोथेरेपी और एक्सरसाइज रोजाना करनी चाहिए. जंक फूड से परहेज जरूरी है।
शरीर में गठिया के बने रहने से रक्तचाप और मधुमेह जैसी गंभीर बीमारियों का इलाज और मुश्किल हो जाता है। गठिया रोग मूलतः प्यूरिन नामक प्रोटीन के मेटाबोलिज्म की विकृति से होता है. खून में यूरिक एसिड की मात्रा बढ़ जाती है। व्यक्ति जब कुछ देर के लिए बैठता या फिर सोता है तो यही यूरिक एसिड जोड़ों में इकठ्ठा हो जाते हैं, जो अचानक चलने या उठने में तकलीफ देते हैं. उन्होंने कहा कि शरीर में यूरिक एसिड की मात्रा अत्यधिक बढ़ जाने पर यह गठिया का रूप ले लेता है।
ध्यान न देने पर घुटना, कूल्हा आदि इंप्लांट करने की भी नौबत आ जाती है. शरीर में प्यूरिन के टूटने से यूरिक एसिड बनने लगता है। प्यूरिन खाने की चीजों में पाया जाता है। खाने के जरिए यह शरीर में पहुंचता है और फिर खून के जरिए किडनी तक। आम तौर पर यह मूत्र के जरिए शरीर से बाहर निकल जाता है, लेकिन कई बार किडनी बेहतर तरीके से काम नही करती तो यह मूत्र के जरिये बाहर न निकलकर रक्त में मिल जाती है और यूरिक एसिड की मात्रा बढ़ने लगती है। यह आपको ताउम्र परेशान कर सकता है और गठिया जैसे रोग पैदा कर सकता है।
ऐसे पहचाने गठिया को
जोड़ों में दर्द, उंगलियों व जोड़ों में सूजन, चलने में कठिनाई, जोड़ों में अकड़न आदि लक्षणों से गठिया रोग की पहचान की जा सकती है।
क्या करें
अगर आपके जोड़ों में जरा सा भी दर्द, शरीर में हल्की अकड़न है तो भी सबसे पहले किसी डॉक्टर को दिखाएं। कोशिश करें कि दिनचर्या नियमित रहे। डॉक्टर की सलाह पर नियमित व्यायाम करें। नियमित टहलें, घूमें-फिरें, व्यायाम एवं मालिश करें। सीढ़ियां चढ़ते समय, घूमने-फिरने जाते समय छड़ी का प्रयोग करें। ठंडी हवा, नमी वाले स्थान व ठंडे पानी के संपर्क में न रहें। घुटने के दर्द में पालथी मारकर न बैठें।
क्या खायें
बथुए का सेवन करें। जिन लोगों को गठिया की समस्या हो, उन्हें बथुए का सेवन जरूर करना चाहिए। हर दिन सेब खाएं। रोज 4 लीटर पानी पिएं। अलसी के बीज खाएं। विटमिन-सी का सेवन करें। बहुत ठंडा खाने, पीने से बचें। अधिक प्रोटीन से परहेज करें। मछली और अखरोठ से दूर रहें। सेब या सेब का सिरका शरीर से यूरिक एसिड को कम करने में मददगार है. सेब के सिरके में एंटीऑक्सीडेंट और एंटीइंफ्लेमेंटरी गुण होते हैं। यह शरीर में यूरिक एसिड को नियंत्रित रखने का काम करते हैं। सेब का सिरका खून में पीएच स्तर को बढ़ा देता है, जो यूरिक एसिड को कम करने में मददगार है। बेकिंग सोडा यूरिक एसिड के लेवल को कम करने में मदद कर सकता है।
बेकिंग सोडा शरीर में प्राकृतिक अल्कलाइन स्तर को सामान्य रखने में मदद करता है। ऐसा इसलिए हो सकता है क्योंकि सोडा यूरिक एसिड को और अधिक घुलनशील बना देता है। ऐसा होने पर यूरिक एसिड किडनी के जरिए बाहर आ जाता है। लेकिन ध्यान रखें इस नुस्खे को अपनाने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह जरूर लें। हाई ब्लड प्रेशर से पीड़ित लोगों को इस नुस्खे का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। विटामिन सी यूरिक एसिड कम करने में बेहद कारगर होता है। इसमें एक चम्मच अदरक का रस और एक चम्मच नीबू का मिला लेते हैं। सुबह खाली पेट 15 दिनों तक लेने से सामान्य रूप से बढ़ा हुआ यूरिक एसिड कण्ट्रोल हो जाता है। यूरिक एसिड ज्यादा बढ़ा है तो इसे एक महीने तक लिया जा सकता है।
होम्योपैथी में इलाज
डा. वी.के. वर्मा कहते हैं होम्योपैथी में इस रोग का सफल इलाज है। लक्षण के अनुसार, चिकित्सक की देखरेख में एकोनाइट, ब्रायोनिया, बेलाडोना, रसटॉक्स, लिडमपाल, एपिसमेल, मैगफास, लाइकोपोडियम, लैकेसिस, आर्टिंका यूरेन्स आदि दवाओं को 30 या 200 के पॉवर में लेने से गठिया रोग में राहत मिल सकती है।
इक्सपर्ट परिचय
डा. वी.के. वर्मा, जिला अस्पताल बस्ती में तैनात आयुष विभाग के नोडल अधिकारी हैं। आपने करीब 35 साल के चिकित्सा अनुभवों के आधार पर लाखों रोगियों का सफल इलाज किया है। इन्होने बस्ती से फैजाबाद मार्ग पर पटेल एस.एम.एच. हॉस्पिटल एवं पैरामेडिकल कालेज, बसुआपार में डा. वी.के. वर्मा इन्स्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस सहित कई विद्यालयों की स्थापना की है। खास बात ये है कि इनके अस्पताल में दवाओं के अतिरिक्त रोगियों से कोई चार्ज नही लिया जाता। दवाओं के भुगतान में भी डा. वर्मा गरीबों, पत्रकारों, साहित्यकारों की मदद किया करते हैं। इनकी सेवाओं या परामर्श के लिये इस नम्बर पर संपर्क किया जा सकता है।
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