27 साल बाद पकड़ में आया फर्जी प्रधानाध्यापक, बर्खास्त


दो-चार नहीं, पूरे 27 साल तक दूसरे की मार्कशीट पर बेसिक शिक्षा विभाग में सहायक अध्यापक व प्रधानाध्यापक की नौकरी करने का खुलासा विभागीय जांच में हुआ है। आजमगढ़ के शिक्षक के अभिलेख के आधार पर फर्जीवाड़ा करने वाले विक्रमजोत ब्लॉक के परिषदीय विद्यालय अतरौरा झाम में कार्यरत उमेश कुमार को बीएसए जगदीश शुक्ल ने बर्खास्त कर दिया है। साथ ही उससे वेतन रिकवरी और एफआईआर दर्ज कराने का आदेश दे दिया है।

बीएसए कार्यालय के अनुसार एसटीएफ को 2020 में बस्ती में कार्यरत प्रधानाध्यापक उमेश राय के फर्जीवाड़े की शिकायत मिली थी। इसके आधार पर एसटीएफ ने प्रकरण की जांच के लिए बीएसए बस्ती को पत्र लिखा था। इसके बाद जब जांच हुई तो सच्चाई सामने आनी शुरू हो गई। प्रारंभिक जांच में पता चला कि बस्ती में 1994 से कार्यरत उमेश राय वर्तमान में विक्रमजोत ब्लॉक के अतरौरा झाम में प्रधानाध्यापक पद पर कार्यरत है। उसने अभिलेख में अपना पता- ग्राम व पोस्ट माधोपुर, थाना धनघटा जिला संतकबीरनगर दे रखा है।

बीएसए ने बताया कि वेतन बाधित करने के साथ ही हाईस्कूल की मार्कशीट की जांच कराई गई तो पता चला कि इसमें दर्ज पता आजमगढ़ था। इस बारे में नोटिस देकर पूछने पर कार्यरत फर्जी शिक्षक ने दलील दी कि उस दौरान वह अपने चाचा के साथ आजमगढ़ में था। इसके बाद जांच के लिए टीम आजमगढ़ गई तो जो तथ्य सामने आए, उससे फर्जीवाड़े की पुष्टि हो गई। फर्जी शिक्षक को बर्खास्त करने के साथ ही मुकदमा दर्ज कराने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।

असली उमेश राय की 1998 में हो चुकी है मौत

बीएसए कार्यालय के अनुसार फर्जी तरीके से सहायक अध्यापक बनने की जांच करने आजमगढ़ पहुंची टीम को जो जानकारी मिली, वह हैरान करने वाली थी। पता चला कि आजमगढ़ के सठियांव निवासी उमेश कुमार भी सहायक अध्यापक थे और उनकी 1998 में ही मौत हो चुकी है। उनकी पत्नी सुषमा राव भी सहायक अध्यापिका हैं और वर्तमान में आजमगढ़ के सठियांव ब्लॉक के कुसड़ा परिषदीय स्कूल में कार्यरत हैं। उन्हें पति की मौत के बाद पारिवारिक पेंशन भी मिल रही है। आजमगढ़ के असली शिक्षक उमेश राय के ही शैक्षिक प्रमाण पत्र पर बस्ती में भी शिक्षक बन 27 साल से नौकरी करने की सच्चाई सामने आ गई।

जिले के विक्रमजोत ब्लॉक के अतरौता झाम परिषदीय स्कूल के प्रधानाध्यापक उमेश राय ने फर्जी तरीके से किसी दूसरे का शैक्षिक प्रमाण पत्र लगाकर 1994 में सहायक अध्यापक की नौकरी हासिल की थी। असली शिक्षक आजमगढ़ के रहने वाले थे, जिनकी 1998 में ही मौत हो चुकी है। जांच के बाद फर्जी शिक्षक को बर्खास्त कर दिया गया है। बीईओ विक्रमजोत हेमलता त्रिपाठी को मुकदमा दर्ज कराने और वेतन रिकवरी के निर्देश दिए गए हैं।

रिपोर्टर :- रवि कसौधन

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