बस्ती,जिला अधिकारी ने छोटे अपराधों में कारागार में बंद कैदियों को कारागार से मुक्ति दिलाने के लिए सूची बनाने का दिया निर्देश
बस्ती,छोटे अपराधों में कारागार में बंद कैदियों को कारागार से मुक्ति दिलाने के लिए जिलाधिकारी श्रीमती प्रियंका निरंजन ने पहल किया है। कलेक्ट्रेट सभागार में आयोजित अभियोजन की बैठक में उन्होंने सभी प्रॉसीक्यूशन ऑफिसर को निर्देशित किया है कि ऐसे लोगों की सूची तैयार करें, जो छोटे अपराधों में जेल में निरुद्ध है, या उन्होंने पारित अपराध में निर्धारित सजा से अधिक समय तक जेल मे बिता लिया है। उन्होंने प्रभारी वरिष्ठ जेल अधीक्षक/एडीएम को निर्देशित किया है कि ऐसे व्यक्ति की सूची संबंधित सीओ को उपलब्ध कराएं, जिसमें कारागार में उनके लाने की अवधि अंकित हो।
उल्लेखनीय है कि प्रत्येक माह जिला कारागार में लोक अदालत का आयोजन भी किया जाता है, जिसमें ऐसे व्यक्तियों को छोड़ने की संस्तुति की जाती है, लेकिन वह बहुत कम संख्या में होती है। जिलाधिकारी की पहल पर बड़े पैमाने पर यह कार्य किया जाएगा ताकि अधिक से अधिक छोटे अपराधों वाले व्यक्तियों को छोड़ा जा सके।
प्रभारी वरिष्ठ जेल अधीक्षक कमलेश चंद्र ने बताया कि वर्तमान समय में जेल में कुल 850 कैदी निरुद्ध है, जिसमें से 200 सजायाफ्ता हैं। शेष 650 का ट्रायल चल रहा है। ऐसी स्थिति में कारागार में क्षमता से अधिक कैदी रखे गए हैं, जिनके भरण-पोषण पर शासन का व्ययभार भी बढ़ता है। उन्होंने बताया कि इस प्रकरण को जनपद न्यायाधीश की अध्यक्षता में संपन्न होने वाली मॉनिटरिंग सेल की बैठक में विचारार्थ रखा जाएगा।
बैठक में गंभीर अपराधों जैसे हत्या, बलात्कार में निरूद्ध अपराधियों को अधिक से अधिक सजा दिलाने की जिलाधिकारी ने शासकीय अधिवक्ताओं तथा प्रॉसीक्यूशन आफिसर को निर्देशित किया है। वर्तमान समय में पाकसो एक्ट के 125 केस चल रहे हैं। समीक्षा में उन्होंने पाया कि 965 में से 483 सम्मन की तामीला रिपोर्ट प्राप्त हुई है, शेष 482 के बारे में कोई जानकारी नहीं है। इस संबंध में थानावार रिपोर्ट मंगाने के लिए जिलाधिकारी ने निर्देशित किया है।
बैठक का संचालन एडीएम कमलेश चंद ने किया। इसमें एसपीओ नीलिमा मिश्रा, सुधीर स्वरूप, ज्योत्सना दुबे, आकाश अरूण, संजीव गुप्ता, पी.के. गौतम, अजय गुप्ता, शासकीय अधिवक्ता आर.पी. पाण्डेय, वेदप्रकाश, वंदना चौबे, अरविन्द पाण्डेय, अखिलेश कुमार दुबे, अरूण कुमार श्रीवास्तव, कुमार उत्कर्ष, रामप्रकाश दुबे, तथा अन्य प्रॉसीक्यूशन अफसर तथा शासकीय अधिवक्ता गण उपस्थित रहे
उल्लेखनीय है कि प्रत्येक माह जिला कारागार में लोक अदालत का आयोजन भी किया जाता है, जिसमें ऐसे व्यक्तियों को छोड़ने की संस्तुति की जाती है, लेकिन वह बहुत कम संख्या में होती है। जिलाधिकारी की पहल पर बड़े पैमाने पर यह कार्य किया जाएगा ताकि अधिक से अधिक छोटे अपराधों वाले व्यक्तियों को छोड़ा जा सके।
प्रभारी वरिष्ठ जेल अधीक्षक कमलेश चंद्र ने बताया कि वर्तमान समय में जेल में कुल 850 कैदी निरुद्ध है, जिसमें से 200 सजायाफ्ता हैं। शेष 650 का ट्रायल चल रहा है। ऐसी स्थिति में कारागार में क्षमता से अधिक कैदी रखे गए हैं, जिनके भरण-पोषण पर शासन का व्ययभार भी बढ़ता है। उन्होंने बताया कि इस प्रकरण को जनपद न्यायाधीश की अध्यक्षता में संपन्न होने वाली मॉनिटरिंग सेल की बैठक में विचारार्थ रखा जाएगा।
बैठक में गंभीर अपराधों जैसे हत्या, बलात्कार में निरूद्ध अपराधियों को अधिक से अधिक सजा दिलाने की जिलाधिकारी ने शासकीय अधिवक्ताओं तथा प्रॉसीक्यूशन आफिसर को निर्देशित किया है। वर्तमान समय में पाकसो एक्ट के 125 केस चल रहे हैं। समीक्षा में उन्होंने पाया कि 965 में से 483 सम्मन की तामीला रिपोर्ट प्राप्त हुई है, शेष 482 के बारे में कोई जानकारी नहीं है। इस संबंध में थानावार रिपोर्ट मंगाने के लिए जिलाधिकारी ने निर्देशित किया है।
बैठक का संचालन एडीएम कमलेश चंद ने किया। इसमें एसपीओ नीलिमा मिश्रा, सुधीर स्वरूप, ज्योत्सना दुबे, आकाश अरूण, संजीव गुप्ता, पी.के. गौतम, अजय गुप्ता, शासकीय अधिवक्ता आर.पी. पाण्डेय, वेदप्रकाश, वंदना चौबे, अरविन्द पाण्डेय, अखिलेश कुमार दुबे, अरूण कुमार श्रीवास्तव, कुमार उत्कर्ष, रामप्रकाश दुबे, तथा अन्य प्रॉसीक्यूशन अफसर तथा शासकीय अधिवक्ता गण उपस्थित रहे
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