बस्ती,निश्छल बालक के तरह, पवित्र हृदय थे बाबा जी….

     

बस्ती,कला ऋषि पद्मश्री बाबा योगेंद्र के जन्म शताब्दी वर्ष के अंतर्गत कल शाम प्रेस क्लब सभागार में संस्कार भारती बस्ती इकाई द्वारा कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत मुख्य अतिथि प्रांतीय साहित्य प्रमुख गोरक्ष प्रांत,डॉ चारूशीला सिंह, प्रांतीय उपाध्यक्षा गोरक्ष प्रांत डा कैप्टन पीएल मिश्रा, प्रांतीय चित्रकला प्रमुख गोरक्ष प्रांत डॉ नवीन श्रीवास्तव, कार्यक्रम अध्यक्ष लता सिंह के द्वारा मां सरस्वती एवं बाबा योगेन्द्र जी के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलन के साथ हुआ। संस्कार भारती का परिचय कराते हुए डा पीएल मिश्रा ने कहा कि साहित्य कला को समर्पित यह संस्था अपने आरंभ से ही समाज के बीच में कार्य कर रही है हम सभी प्रकार की कलाओं के संवर्धन का कार्य संस्कार भारती के माध्यम से करते हैं।

ध्येय गीत डा पी एल मिश्रा, डॉ रमा शर्मा , सरिता शुक्ला और लता सिंह जी ने गाया। कार्यक्रम का संयोजन एवं  सफल संचालन साहित्य प्रमुख संस्कार भारती बस्ती इकाई डॉ राजेश कुमार मिश्र ने किया तो आभार ज्ञापन कोषाध्यक्ष ओम प्रकाश पाण्डेय ने किया । कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रही लता सिंह जी ने सफल कार्यक्रम के लिए सभी को शुभकामना दी । कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ चारुशीला सिंह ने साहित्य की क्या आवश्यकता है समाज में इस पर प्रकाश डाला और कहा कि यह तो प्रारंभ है भविष्य में ऐसे कार्यक्रम होते रहेंगे उन्होंने अपनी रचना से खूब वाहवाही बटोरी उन्होंने पढ़ा , ये सदा याद रखिए हम इसे दे जाएं क्या ,यह कभी मत सोचिए हमको वतन ने क्या दिया।। ओज के कवि डॉ वेद प्रकाश प्रचंड ने अपनी रचना से तालियां बटोरी उन्होंने पढ़ा, नभ के ऊपर जाए तिरंगा सबका ख्वाब सलोना है ,भारत का पावन आंचल बिस्तर और खिलौना है। संचालन कर रहे डॉ राजेश कुमार मिश्र ने पढ़ा , बन सके जो प्रेरणा सारे समाज का ,वंदे मातरम बने हमें वह गीत चाहिए । वरिष्ठ रचनाकार मयंक श्रीवास्तव जी ने अपनी रचना के माध्यम से बस्ती का इतिहास बताया और पढ़ा दूर कविता खेड़ी मुस्कुराती रही, आप तो व्याकरण देखते रह गए। बस्ती वसुधा के लेखक चंद्रबली मिश्र ने अपनी रचना पढ़कर सोचने पर विवश किया बस्ती के इतिहास का विवेचन किया।गीत कार राकेश राही ने अपने गीत के माध्यम से पढ़ा छंद कार रहमान अली रहमान ने अपनी रचना पढ़ कर तालियां बटोरी रोम रोम में बस गए ईश्वर अल्ला आय, जब दोनों ही एक हैं किसको शीश नवाए। शिक्षक कवि हरकेश प्रजापति ने पढ़ा जितनी उठी है लाशें लिपटी तिरंगों में, एक एक वीर का हिसाब होना चाहिए। गीतकार अजीत श्रीवास्तव ने अपने गीतों से मंत्रमुग्ध किया उन्होंने पढ़ा वीरों की यह मातृभूमि बदनाम नहीं होने देंगे । भगत सिंह की कुर्बानी की शाम नहीं होने देंगे।। कवि राहुल श्रीवास्तव ने बाबा योगेंद्र के जीवन पर रचित अपनी रचना निश्छल  बालक के तरह, पवित्र हृदय थे बाबा जी सबके बीच में रखी।

इस अवसर पर संस्कार भारती के पदाधिकारी सरिता शुक्ला ,ललिता श्रीवास्तव ,प्रीति श्रीवास्तव ,रामशंकर जायसवाल ,माही यादव, ओम प्रकाश उपाध्याय, आरोही शुक्ला, उमाशंकर सहित अन्य लोग उपस्थित रहे।

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