बस्ती,जिलाधिकारी ने भारत सरकार द्वारा संचालित ई-नाम पोर्टल के व्यापक प्रचार-प्रसार के लिए अधिकारियों को किया निर्देशित।
बस्ती , जिलाधिकारी श्रीमती प्रियंका निरंजन ने भारत सरकार द्वारा संचालित ई-नाम पोर्टल के व्यापक प्रचार-प्रसार के लिए अधिकारियों को निर्देशित किया है। कलेक्टेªट सभागार में कृषि विपणन एवं कृषि विदेश व्यापार की बैठक में उन्होेने कहा कि इसके लिए तहसील एवं ब्लाक में हेल्पडेस्क लगाया जाय तथा अधिक से अधिक किसानांे का रजिस्टेªशन किया जाय। उल्लेखनीय है कि ई-नाम पोर्टल में रजिस्टर्ड किसान अपने उत्पाद का विवरण इस पर दर्ज करेंगा। इस पोर्टल पर भारत में कही भी रजिस्टर्ड व्यापारी उस उत्पाद को खरीद सकेंगा। इस तरह से उसे पूरे भारत में अपना उत्पाद बेंचने की सुविधा प्राप्त होती है।
जिलाधिकारी ने कहा कि वर्तमान समय में आर्गेनिक खेती को बढावा दिया जा रहा है। बिना केमिकल खाद का प्रयोग किए आर्गेनिक उत्पादों की मांग बढ रही है तथा इसका अच्छा दाम भी प्राप्त हो रहा है। उन्होने कृषि विभाग के अधिकारियों एवं एफपीओ को निर्देशित किया है कि वे आर्गेनिक खेती को बढावा दें तथा किसानों को इसके लिए प्रेरित करें।
उन्होने कहा कि कृषि क्षेत्र में निर्यात को बढावा देने के लिए उत्तर प्रदेश कृषि निर्यात नीति लागू की गयी है, जिसके द्वारा वर्ष 2024 तक रू0 17591 करोड़ के वर्तमान मूल्य से दुगुना निर्यात करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। साथ ही देशी एवं जैविक खेती को बढावा दिया जाना है। इसके लिए संबंधित विभागों को आपसी समन्वय से नीति को लागू करना होंगा तथा निर्यात योग्य कृषि उत्पाद से संबंधित जानकारी किसानों तक पहुॅचाना होंगा।
उन्होने कहा कि वर्तमान बाजारों का विस्तार करते हुए किसानों की आमदनी को बढाने के लिए गुणवत्ता, नियंत्रण सुनिश्चित करना होंगा। इसके लिए अच्छी कृषि पद्यति को प्रोत्साहित करना होगा तथा जनपद स्तर पर कलस्टर सुविधा इकाई को बढाना होंगा। उन्होने बताया कि निर्यात उन्मुख कलस्टर को अतिरिक्त प्रोत्साहन देने के लिए पंजीकृत एफपीओ/एफपीसी/किसान समूह अथवा समिति को प्रोत्साहन राशि अनुमन्य है।
उन्होने बताया कि 50 हेक्टेयर से 100 हेक्टेयर के कलस्टर को रू0 10 लाख, 100 से 150 हे0 तक रू0 16 लाख, 150 से 200 हे0 तक रू0 22 लाख, 200 से 250 हे0 तक रू0 28 लाख, 250 से 300 हे0 तक रू0 34 लाख, 300 से 350 हे0 तक के कलस्टर को 40 लाख रूपया प्रोत्साहन राशि अनुमन्य है। यह राशि प्रथम वर्ष 40 प्रतिशत तथा उसके बाद आगामी 04 वर्ष तक 15-15 प्रतिशत निर्यात होने पर दिया जायेंगा। प्रोत्साहन के लिए कुल उत्पादन का न्यूनतम 30 प्रतिशत निर्यात करना आवश्यक है।
जिलाधिकारी ने बताया कि निर्यात हेतु परिवहन पर भी अनुदान दिया जाता है। वायु अथवा जल मार्ग से निर्यात करने पर रू0 10 प्रति किग्रा0 तथा रेल मार्ग अथवा सड़क मार्ग से निर्यात करने पर रू0 05 प्रति किग्रा0 परिवहन अनुदान देय है। इसके अलावा कृषि ऊपज पर मण्डी शुल्क एवं विकास सेस से छूट भी दी जाती है।
काला नमक चावल के कलस्टर बनाने को लेकर ज्येष्ठ कृषि विपणन निरीक्षक संदीप कुमार ने अनुदान के बारे में जानकारी दिया। उन्होने बताया कि काला नमक चावल का निर्यात करने की संभावना रहती है। इस लिए इसके उत्पादन को बढावा दिया जाय। एफपीओ डायरेक्टर राममूर्ति मिश्रा ने सुझाव दिया कि कलस्टर की सीमा 50 हेक्टेयर से घटाकर 20 से 25 हेक्टेयर किया जाय।
बैठक में कृषि अधिकारी मनीष कुमार, नाबार्ड के मनीष कुमार, मत्स्य के संदीप वर्मा, उद्यान से आर.बी मौर्या, एफपीओ संचालक संचित कुमार, प्रगतिशील संकित पटेल, सुनील कुमार चौधरी, रामपूजन चौधरी, जयराम, कृष्णानन्द चौधरी, रामप्रकाश उपस्थित रहें।
जिलाधिकारी ने कहा कि वर्तमान समय में आर्गेनिक खेती को बढावा दिया जा रहा है। बिना केमिकल खाद का प्रयोग किए आर्गेनिक उत्पादों की मांग बढ रही है तथा इसका अच्छा दाम भी प्राप्त हो रहा है। उन्होने कृषि विभाग के अधिकारियों एवं एफपीओ को निर्देशित किया है कि वे आर्गेनिक खेती को बढावा दें तथा किसानों को इसके लिए प्रेरित करें।
उन्होने कहा कि कृषि क्षेत्र में निर्यात को बढावा देने के लिए उत्तर प्रदेश कृषि निर्यात नीति लागू की गयी है, जिसके द्वारा वर्ष 2024 तक रू0 17591 करोड़ के वर्तमान मूल्य से दुगुना निर्यात करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। साथ ही देशी एवं जैविक खेती को बढावा दिया जाना है। इसके लिए संबंधित विभागों को आपसी समन्वय से नीति को लागू करना होंगा तथा निर्यात योग्य कृषि उत्पाद से संबंधित जानकारी किसानों तक पहुॅचाना होंगा।
उन्होने कहा कि वर्तमान बाजारों का विस्तार करते हुए किसानों की आमदनी को बढाने के लिए गुणवत्ता, नियंत्रण सुनिश्चित करना होंगा। इसके लिए अच्छी कृषि पद्यति को प्रोत्साहित करना होगा तथा जनपद स्तर पर कलस्टर सुविधा इकाई को बढाना होंगा। उन्होने बताया कि निर्यात उन्मुख कलस्टर को अतिरिक्त प्रोत्साहन देने के लिए पंजीकृत एफपीओ/एफपीसी/किसान समूह अथवा समिति को प्रोत्साहन राशि अनुमन्य है।
उन्होने बताया कि 50 हेक्टेयर से 100 हेक्टेयर के कलस्टर को रू0 10 लाख, 100 से 150 हे0 तक रू0 16 लाख, 150 से 200 हे0 तक रू0 22 लाख, 200 से 250 हे0 तक रू0 28 लाख, 250 से 300 हे0 तक रू0 34 लाख, 300 से 350 हे0 तक के कलस्टर को 40 लाख रूपया प्रोत्साहन राशि अनुमन्य है। यह राशि प्रथम वर्ष 40 प्रतिशत तथा उसके बाद आगामी 04 वर्ष तक 15-15 प्रतिशत निर्यात होने पर दिया जायेंगा। प्रोत्साहन के लिए कुल उत्पादन का न्यूनतम 30 प्रतिशत निर्यात करना आवश्यक है।
जिलाधिकारी ने बताया कि निर्यात हेतु परिवहन पर भी अनुदान दिया जाता है। वायु अथवा जल मार्ग से निर्यात करने पर रू0 10 प्रति किग्रा0 तथा रेल मार्ग अथवा सड़क मार्ग से निर्यात करने पर रू0 05 प्रति किग्रा0 परिवहन अनुदान देय है। इसके अलावा कृषि ऊपज पर मण्डी शुल्क एवं विकास सेस से छूट भी दी जाती है।
काला नमक चावल के कलस्टर बनाने को लेकर ज्येष्ठ कृषि विपणन निरीक्षक संदीप कुमार ने अनुदान के बारे में जानकारी दिया। उन्होने बताया कि काला नमक चावल का निर्यात करने की संभावना रहती है। इस लिए इसके उत्पादन को बढावा दिया जाय। एफपीओ डायरेक्टर राममूर्ति मिश्रा ने सुझाव दिया कि कलस्टर की सीमा 50 हेक्टेयर से घटाकर 20 से 25 हेक्टेयर किया जाय।
बैठक में कृषि अधिकारी मनीष कुमार, नाबार्ड के मनीष कुमार, मत्स्य के संदीप वर्मा, उद्यान से आर.बी मौर्या, एफपीओ संचालक संचित कुमार, प्रगतिशील संकित पटेल, सुनील कुमार चौधरी, रामपूजन चौधरी, जयराम, कृष्णानन्द चौधरी, रामप्रकाश उपस्थित रहें।
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