बस्ती,आर्य समाज गांधी नगर बस्ती में वार्षिकोत्सव के तीसरे दिन महिला सम्मेलन का आयोजन
बस्ती,आर्य समाज गांधी नगर बस्ती में आज अपरान्ह 2 बजे महिला सम्मेलन का आयोजन किया गया जिसकी अध्यक्षता सुमन आर्य ने किया। उन्होंने कहा कि महिलाओं को आगे आकर संसार, देश के कल्याण के लिए कार्य करना चाहिए बैदिक काल मे नारी का क्या स्थान था और आज की स्थिति क्या है इस पर विचार करने की आवश्यकता है। नारी अगर वेद पढती है तो निश्चित ही उसका परिवार सास्कारिक होगा और समाज के निर्माण में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगी जहां पर नारी का सम्मान होता है वही देश वा समाज आगे बढ़ता है। महिला सम्मेलन में बबली शर्मा, रंजना त्रिपाठी, सुनीता राजपूत, सुमन आर्य, शिवकुमारी शर्मा, पूनम दूबे, नीलिमा श्रीवास्तव, उमा श्रीवास्तव, बिन्दू मिश्रा, कलावती शर्मा आदि महिलाएं उपस्थित रहीं।
इसके पूर्व वार्षिकोत्सव के तीसरे दिन कार्यक्रम की शुरूआत दैनिक यज्ञ से हुआ। दैनिक यज्ञ के बाद आयोजित उत्सव में सम्बोधित करते हुए लखनऊ से पधारे विद्वान पं0 विश्वव्रत शास्त्री ने कहा कि देश के अन्दर आडम्बर चरम सीमा पर फैला हुआ है। ऐसे आडम्बर को आर्य समाज ही दूर कर सकता है। आधुनिकता की चकाचौंध में हम सभी को वेद की महत्ता को समझने की जरूरत है। वेद के बताये हुए नियम पर चलकर जीवन को सुखमय बनाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि सिद्धांतों के प्रति व्यक्ति को कठोर होना चाहिए लेकिन व्यवहार में उदार होना चाहिए। आर्य समाज के नियम इस तरह से बनाये गये हैं जिससे एक अच्छे समाज का निर्माण हो सकता है। इसके पश्चात जयप्रकाश भजनोपदेशक उत्तराखण्ड एवं पं0 सुन्दर लाल शास्त्री पंजाब ने अपने उद्बोधन से वैदिक काल के उपादेयता पर व्यापक प्रकाश डालते हुए अपने विचार रखे। कार्यक्रम का संचालन सत्येन्द्र वर्मा द्वारा किया गया।
कार्यक्रम में पं0 हरिपति पाण्डेय, मुरलीधर भारती, ओम प्रकाश आर्य, बृजेश कुमार, गरूणध्वज, सर्वेश सक्ेसना, देवव्रत, राधेश्याम सिंह, सत्येन्द्र वर्मा, सुभाष चन्द्र, रामअचल, आशुतोष मोदनवाल, विनोद उपाध्याय, श्रीमती ऊषा श्रीवास्तव, विश्वनाथ, आदि उपस्थित रहे।
इसके पूर्व वार्षिकोत्सव के तीसरे दिन कार्यक्रम की शुरूआत दैनिक यज्ञ से हुआ। दैनिक यज्ञ के बाद आयोजित उत्सव में सम्बोधित करते हुए लखनऊ से पधारे विद्वान पं0 विश्वव्रत शास्त्री ने कहा कि देश के अन्दर आडम्बर चरम सीमा पर फैला हुआ है। ऐसे आडम्बर को आर्य समाज ही दूर कर सकता है। आधुनिकता की चकाचौंध में हम सभी को वेद की महत्ता को समझने की जरूरत है। वेद के बताये हुए नियम पर चलकर जीवन को सुखमय बनाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि सिद्धांतों के प्रति व्यक्ति को कठोर होना चाहिए लेकिन व्यवहार में उदार होना चाहिए। आर्य समाज के नियम इस तरह से बनाये गये हैं जिससे एक अच्छे समाज का निर्माण हो सकता है। इसके पश्चात जयप्रकाश भजनोपदेशक उत्तराखण्ड एवं पं0 सुन्दर लाल शास्त्री पंजाब ने अपने उद्बोधन से वैदिक काल के उपादेयता पर व्यापक प्रकाश डालते हुए अपने विचार रखे। कार्यक्रम का संचालन सत्येन्द्र वर्मा द्वारा किया गया।
कार्यक्रम में पं0 हरिपति पाण्डेय, मुरलीधर भारती, ओम प्रकाश आर्य, बृजेश कुमार, गरूणध्वज, सर्वेश सक्ेसना, देवव्रत, राधेश्याम सिंह, सत्येन्द्र वर्मा, सुभाष चन्द्र, रामअचल, आशुतोष मोदनवाल, विनोद उपाध्याय, श्रीमती ऊषा श्रीवास्तव, विश्वनाथ, आदि उपस्थित रहे।
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