पुलिस में बड़े 'खेल' का खुलासा, घूस न देने पर 144 दारोगाओ का डिमोशन
गोरखपुर पुलिस विभाग में बाबुओं की मेहरबानी से 39 ही नहीं 105 और दरोगा हैं जिन्हें जूनियर बना दिया गया है। 39 दरोगा तो अपने साथियों से एक साल के जूनियर हैं जबकि 105 दरोगा तो दो साल के जूनियर बन गए हैं। इनके साथ ट्रेनिंग करने वाले जिन दरोगा ने दूसरे जिलों में आमद की थी वह सीनियर बने हुए हैं। इनमें से कुछ दरोगा जब ट्रांसफर पर गोरखपुर आए तब साथियों को पता चला तो उन्होंने पूर्व कप्तान से शिकायत की थी।
लेकिन बाबुओं ने मुख्यालय से पत्राचार का हवाला देकर उन्हें घुमा दिया था और जूनियर से सीनियर बनाने के लिए पैसे की डिमांड शुरू कर दी थी। अब एक बार फिर जब यह जिन्न बोतल से बाहर निकला है तब एसएसपी ने इसकी जांच शुरू करा दी है। दरअसल, वर्ष 2011में भर्ती दरोगा की नवम्बर 2015 से ट्रेनिंग शुरू हुई थी। उन्होंने दो नवम्बर 2015 को ट्रेनिंग के लिए आमद किया था। ट्रेनिंग पूरी करने के बाद वर्ष 2017 में उन्हें जिला आवंटित हुआ और अगस्त 2017 को 105 दारोगा गोरखपुर में ज्वाइन किए। बाबुओं ने इन दारोगा का पीएनओ नम्बर 2017 का आवंटित कर दिया यानी उन्हें 2017 बैच का दरोगा बना दिया। वहीं अन्य जिलों में उसी बैच के दरोगा जब ज्वाइन किए तो उन्हें वर्ष 2015 बैच का पीएनओ नम्बर एलाट हुआ।
दरोगा ने जब इसकी शिकायत बाबुओं से की तो उन्होंने उनकी एक न सुनी। नए-नए भर्ती हुए दरोगा तब चुप बैठ गए। लेकिन करीब दो साल में जब उनके अन्य साथी जो दूसरे जिले में नौकरी ज्वाइन किए थे और वे गोरखपुर में ट्रांसफर पर आए तो वह उनसे दो साल सीनियर थे। इसकी शिकायत कुछ दरोगा ने तत्कालीन एसएसपी डॉ. सुनील गुप्ता से की थी। उन्होंने बाबुओं से पूछा तो पत्राचार करने की बात कहकर उन्हें घुमा दिया गया। वहीं इस बीच 2017 और 2018 बैच का भी झगड़ा शुरू हो गया था। 2017 में ट्रेनिंग लेने वालों संग भी खेलबाबुओं ने इसी तरह से 2017 में ट्रेनिंग लेने वाले दरोगा के साथ भी खेल कर दिया।
जब 2018 में गोरखपुर जिले में आमद किए तो उनका बैच 2018 का एलाट कर दिया। इस बार गोरखपुर के अलावा चार अन्य जिलों बहराइच, श्रावस्ती, गोंडा और सिद्धार्थनगर जिले के बाबुओं ने भी यही कारनामा किया था पर इनके अलावा 70 जिले में जिन दारोगा ने आमद किया तो उन्हें 2017 बैच का पीएनओ मिला। बहराइच के दरोगा ने इसकी शिकायत डीजी टेक्निकल सर्विस में की थी। जांच में पाया गया कि यह सभी 2017 बैच में भर्ती हुए हैं। डीजी टेक्निकल सर्विस की ओर से लिखित आदेश जारी किया गया।
इस आदेश के बाद अन्य चार जिलों में कर्मियों अपनी गलती सुधार ली लेकिन गोरखपुर में तत्कालीन बाबू की मनमानी की वजह से गोरखपुर में आज भी उसमें संसोधन नहीं हो सका। एक साथ ट्रेनिंग और दो साल नौकरी में पीछे मेडिकल कालेज चौकी इंचार्ज गौरव कन्नौजिया, टीपी नगर चौकी इंचार्ज अवधेश मिश्र, सूर्य विहार चौकी इंचार्ज विकास सिंह, खोराबार थाने में तैनात रविसेन यादव सहित कई ऐसे दारोगा हैं जिन्होंने 2015 में ट्रेनिंग की और अन्य जिलों में आमद किए उन्हें 2015 बैच का पीएनओ एलाट हुआ जबकि उन्हीं के साथ ट्रेनिंग करने वाले सर्वेश राय ,दीपक सिंह, मनीष यादव, अखिलेश कुमार, धनश्याम सिंह यादव, बबलू सोनकर, विशाल उपाध्याय, धीरेन्द्र राय आदि दरोगाओं को गोरखपुर जिला मिला तो वे अपने साथियों से दो साल जूनियर हो गए।एक साथ ट्रेनिंग पर नौकरी में एक साल पीछे नौसढ़ चौकी इंचार्ज अनूप कुमार तिवारी भी 2017 बैच के दरोगा हैं। ट्रेनिंग के बाद इन्होंने देवरिया जिले में आमद कराया था। इन्हें 2017 बैच मिला।
जबकि रिजवान अहमद, विजय यादव, अखिलेश त्रिपाठी, अरुण सिंह, रवि राय, धमेंद्र चौबे और रविंद्रनाथ चौबे सहित ऐसे 39 दरोगा हैं, जिन्होंने ट्रेनिंग के बाद गोरखपुर जिले में आमद कराया। लेकिन इन्हें 2018 बैच का पीएनओ जारी कर दिया गया।सीओ एलआईयू करेंगे मामले की जांच गोरखपुर में यूपी पुलिस के दरोगाओं को जूनियर बनाने का मामला सामने आने के बाद एसएसपी दिनेश कुमार प्रभु ने इसकी जांच शुरू करा दी है। उन्होंने एलआईयू सीओ को पूरे प्रकरण की जांच सौंपी है। पुलिस कप्तान का आदेश मिलते ही एलआईयू के सीओ जांच शुरू कर दी। शनिवार को एलआईयू ने पीड़ित दरोगा से भी इस मामले में पूछताछ शुरू कर दी है। सीओ एलआईयू ने बताया कि स्वत: संज्ञान के आधार पर जांच की जा रही है अगर कोई दरोगा शिकायत करता है तो उसकी शिकायत को भी इस जांच में शामिल किया जाएगा।
अपने बैचमेट साथियों से गोरखपुर में जूनियर बने दारोगा की पत्रावली मंगाकर मैंने देखी है और इसके लिए पुलिस मुख्यालय को पत्र भी लिखा हूं। वहां से मिले निर्देशों के अनुसार इन सभी लोगों की पत्रावली दुरुस्त कराई जाएगी।
दिनेश कुमार पी, एसएसपी गोरखपुर
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