बगैर कोरोना जांच कराए मनमाना इलाज हो सकता है जानलेवा
लक्षण दिखे तो कोविड की जांच अवश्य करवाएं
रिपोर्ट पॉजीटिव हो तो होम आइसोलेशन में शुरू करें इलाज
लक्षण के साथ रिपोर्ट निगेटिव आने पर भी करना है इलाज
गोरखपुर। अगर सर्दी, खांसी, जुकाम, बुखार, सांस फूलने, लगातार उल्टी-दस्त, आंखों में खुजली, गले में खरास जैसे कोई लक्षण नजर आएं तो कोविड की जांच अवश्य करवानी चाहिए। ऐसे लक्षण दिखने पर बगैर जांच कराए सोशल मीडिया या अपुष्ट स्रोतों से दवाओं के नाम लेकर मनमाना इलाज जानलेवा हो सकता है। कोविड जांच में अगर रिपोर्ट पॉजीटिव आती है तो चिकित्सक या रैपिड रिस्पांस टीम आरआरटी के सुझाव के अनुसार होम आइसोलेशन या फिर अस्पताल का विकल्प चुन कर ही इलाज करवाना चाहिए। अगर इन लक्षणों के साथ रिपोर्ट निगेटिव है तब भी सतर्कता बनाये रखना है और चिकित्सक के परामर्श से ही इलाज करवाना है। यह कहना है जिला स्वास्थ्य शिक्षा एवं सूचना अधिकारी केएन बरनवाल का।
श्री बरनवाल ने बताया कि ऐसा देखने में आ रहा है कि कुछ मरीज कोविड से मिलते-जुलते लक्षण आने पर घर में बिना किसी चिकित्सकीय परामर्श के इलाज शुरू कर दे रहे हैं। इलाज के एक-डेढ़ हफ्ता बीत जाने के बाद स्वास्थ्य ज्यादा बिगड़ने पर ऐसे लोग अस्पतालों का रूख करते हैं। समय से सही लाइन ऑफ ट्रिटमेंट न मिलने के कारण कोविड होने की स्थिति में ऐसे लोगों के फेफड़े ज्यादा खराब हो जाते हैं जिससे मुश्किल बढ़ जाती है। सरकार ट्रैक, टेस्ट और ट्रीट की नीति पर कार्य कर रही है, जो लोग बिना जांच कराए मनमाने तरीके से इलाज कर रहे हैं उनसे इस नीति को धक्का पहुंच रहा है और उनकी यह प्रवृत्ति न केवल उनके अपने स्वास्थ्य के लिए, बल्कि समाज के अन्य लोगों के लिए भी नुकसानदेह साबित हो रही है।
कोविड टेस्ट के फायदे
पॉजीटिव मरीज के संपर्क सूत्रों की तलाश कर कोविड की रोकथाम में मदद मिलती है।
पॉजीटिव मरीज के घर प्रामाणिक औषधियां आरआरटी की मदद से पहुंच पाती हैं।
पॉजीटिव मरीज आरआरटी से काउंसिलिंग प्राप्त कर पाता है।
उसे सभी चिकित्सकों के नंबर मुहैय्या कराए जाते हैं जहां से उचित परामर्श मिलता है।
मरीज होम आइसोलेशन के दौरान के व्यवहार की जानकारी प्राप्त कर जल्दी ठीक हो जाता है।
मरीज और उसके परिजन विपरीत परिस्थितियों के लिए मानसिक तौर पर तैयार रहते हैं।
चिकित्सक के परामर्श पर बेसिक व एडवांस जांचें भी हो जाती हैं जिससे इंफेक्शन नहीं बढ़ पाता।
कोविड टेस्ट न कराने के नुकसान
मरीज तक सभी सरकारी सेवाओं का लाभ नहीं पहुंच पाता है।
अपुष्ट और अप्रामाणिक दवाएं मरीज के शरीर पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती हैं।
सही दिशा में सही समय पर इलाज न मिलने से बीमारी जानलेवा हो सकती है।
मरीज के स्वास्थ्य संबंधित पृष्टभूमि के हिसाब से इलाज नहीं मिल पाता है।
संपर्क में आए लोग नये लोगों तक बीमारी का प्रसार करते हैं और कोविड चेन ब्रेक नहीं होती है।
चिकित्सक और आरआरटी का सही परामर्श मरीज तक नहीं पहुंच पाता है।
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