पंचायत चुनाव 2021 गांव कस्‍बों में बढ़ी देसी शराब की खपत, कम कीमत वाली अंग्रेजी शराब की भी खूब हो रही मांग


यूपी पंचायत चुनाव की अधिसूचना की तरीख जैसे-जैसे नजदीक आ रही है, त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के दावेदार वोटरों को रिझाने की कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते हैं। दिन में जहां स्थानीय जोड़तोड़ से वोट की सेटिंग हो रही है, वहीं रात के अंधेरे में दावतों का दौर चल रहा है। ऐसे में देसी शराब की खपत में डेढ़ गुने से अधिक का इजाफा हो गया है। जो दुकानदार 5000 शीशी शराब बेचते थे, वे वर्तमान में 7000 शीशी से अधिक बेच रहे हैं। आबकारी विभाग को उम्मीद है कि मार्च महीने में लक्ष्य से कहीं अधिक शराब की बिक्री होगी।

कुछ वर्ष पहले तक चुनाव में कच्ची शराब की गांवों में धूम रहती थी। आबकारी विभाग के अंकुश और लोगों में जहरीली शराब के खौफ का नतीजा है कि देसी शराब की खपत में काफी इजाफा हुआ है। चालू वित्तीय वर्ष में लॉकडाउन के चलते शराब की बिक्री बुरी तरह प्रभावित हुई थी। इसके बाद भी बिक्री 30 से 40 फीसदी ही थी। लेकिन वैवाहिक मौसम के बाद पंचायत चुनाव की तैयारी में शराब का लक्ष्य पूरा होता दिख रहा है। आबकारी विभाग के मुताबिक, जिले में देसी शराब का सालाना लक्ष्य 1.92 करोड़ बल्क लीटर है। जिसके सापेक्ष 1.75 करोड़ बल्क लीटर की खपत हो चुकी है। शराब बिक्री का 60 फीसदी हिस्सा दिसम्बर से मार्च महीने का है। पीपीगंज के देसी शराब के लाइसेंसी ठेकेदार आलोक का कहना है कि पिछली लगन और पंचायत चुनाव नहीं होता तो सिक्योरिटी मनी भी जब्त हो जाती। लेकिन 31 मार्च तक तय कोटे से अधिक शराब की बिक्री की उम्मीद है।

कच्ची पर अंकुश से बढ़ी देसी की मांग

पंचायत चुनाव को देखते हुए शासन के निर्देश पर लगातार आबकारी विभाग की छापेमारी हो रही है। जिससे देसी शराब की मांग बढ़ गई है। शराब कारोबारी अंकुश का कहना है कि थोक गोदाम पर 20 मार्च के बाद माल नहीं मिलने की संभावना को देखते हुए तय कोटे से अधिक शराब की खरीदारी हो रही है। शुक्रवार को भी शाहपुर थाना क्षेत्र के पादरी बाजार में कच्ची शराब के विभिन्न संदिग्ध स्थलों पर छापेमारी की गई। इस दौरान 45 लीटर अवैध कच्ची शराब बरामद किया गया। दो कारोबारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया। आबकारी इंस्पेक्टर राकेश त्रिपाठी का कहना है कि यह छापेमारी लगातार जारी रहेगी। कच्ची शराब पर काफी हद तक अंकुश लग गया है।

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