18 साल से फरार फर्जी आर्मी कर्नल वृद्धाश्रम से गिरफ्तार, फ्लैट और दुकानें का वादा कर लोगों को लूटता था
दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच ने एक बड़ी सफलता हासिल करते हुए 18 साल से फरार चल रहे 77 वर्षीय फर्जी आर्मी कर्नल को आखिरकार गिरफ्तार कर लिया। आरोपी खुद को आर्मी का कर्नल बताकर लोगों को ठगता था। पुलिस ने उसे वेलफेयर हाउसिंग ऑर्गनाइजेशन (एडब्ल्यूएचओ) से जुड़े धोखाधड़ी के एक मामले में जमानत पर छूटकर करीब एक दशक फरार चल रहे मामले में पंजाब के पटियाला स्थित एक वृद्धाश्रम से गिरफ्तार कर लिया गया।
पुलिस ने एक बयान में कहा कि आरोपी सीताराम गुप्ता, जो पंजाब के मनसा का निवासी है, खुद को भारतीय सेना में कर्नल बता रहा था और फर्जी AWHO योजनाओं के तहत फ्लैट और दुकानें देने का वादा कर लोगों को ठग रहा था। पुलिस उपायुक्त (अपराध शाखा) अपूर्व गुप्ता ने बयान में कहा, “पंजाब विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र और इतिहास में स्नातकोत्तर और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के पूर्व छात्र गुप्ता, दिल्ली के विवेक विहार पुलिस थाने में दर्ज 2007 के धोखाधड़ी के एक मामले में मुकदमे से बच रहे थे।”
अधिकारी ने बताया कि उन्होंने शिकायतकर्ता को एडब्ल्यूएचओ योजना के तहत फ्लैट और दुकान देने का प्रस्ताव देकर उससे कथित तौर पर 56,000 रुपये लिये और जाली रसीदें जारी कर दीं। 2007 में गिरफ्तारी और उसके बाद जमानत पर रिहा होने के बाद गुप्ता भूमिगत हो गए और अदालत में पेश नहीं हुए, जिसके कारण उनके खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया गया। इस साल 26 अप्रैल को कड़कड़डूमा कोर्ट ने उसे भगोड़ा घोषित कर दिया था। बयान में कहा गया है कि उसने अपना करियर भारत भर में सेना की छावनियों को तेल की आपूर्ति करने वाले ठेकेदार के रूप में शुरू किया था।
इस अवधि के दौरान, उन्हें सेना की कार्यप्रणाली के बारे में अंदरूनी जानकारी प्राप्त हुई, जिसका उपयोग उन्होंने बाद में खुद को वरिष्ठ सेना अधिकारी के रूप में प्रस्तुत करने और रोजगार तथा आवास लाभ के वादों के साथ आम लोगों को लुभाने के लिए किया। डीसीपी ने कहा, “वह 1987 में दिल्ली आया और कर्नल के रूप में काम करने लगा। उसने सेना में भर्ती और AWHO के माध्यम से रियल एस्टेट के अवसरों के बहाने कई लोगों को ठगा।” गुप्ता पर नज़र रखने के लिए एक विशेष टीम बनाई गई। एक गुप्त सूचना के आधार पर, टीम ने निगरानी की और पटियाला के वृद्धाश्रम पर ध्यान केंद्रित किया, जहाँ वह झूठी पहचान के साथ रह रहा था। अधिकारी ने बताया, “उसने अपना हुलिया बदल लिया था और अपने परिवार से भी संबंध तोड़ लिए थे, ताकि वह किसी की नजर में न आए। उसकी पहचान की पुष्टि होने के बाद उसे आश्रय गृह से गिरफ्तार कर लिया गया।”
पूछताछ के दौरान गुप्ता ने धोखाधड़ी के कई मामलों में अपनी संलिप्तता स्वीकार की, जिसमें शकरपुर पुलिस स्टेशन और दिल्ली में अपराध शाखा में दर्ज तीन अन्य धोखाधड़ी के मामले भी शामिल हैं, जो सेना में फर्जी नौकरी की पेशकश से संबंधित हैं। पुलिस ने बताया कि गुप्ता की पत्नी का निधन हो चुका है और उसके दो बच्चे हैं। गिरफ्तारी से बचने के लिए वह एकांत जीवन जी रहा था, जगह बदल रहा था और अलग-अलग मोबाइल नंबरों का इस्तेमाल कर रहा था
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