बस्ती, मानसिक समस्या होने पर तत्काल चिकित्सक से लें परामर्श

     

बस्ती,विश्व मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता सप्ताह के तहत जिला अस्पताल के नॉन कम्युनिकेबल डिजीज क्लीनिक में मानसिक स्वास्थ्य शिविर का शुक्रवार को आयोजन हुआ। शिविर में 100 से ज्यादा लोगों के मानसिक स्वास्थ्य का परीक्षण कर उन्हें परामर्श दिया गया। कुछ लोगों को दवा भी प्रदान की गई।

शिविर का शुभारंभ भाजपा जिलाध्यक्ष महेश शुक्ला ने किया। उन्होंने कहा कि अति महत्वाकांक्षा के इस युग में मानसिक समस्या बढ़ी है। समस्या होने पर इसे नजरअंदाज करने से बीमारी गम्भीर हो जाती है। लोगों को चाहिए कि अगर दिनचर्या में कुछ भी असमान्य लग रहा है तो तत्काल मानसिक रोग विशेषज्ञ से सम्पर्क करें।
सीएमओ डॉ. आरपी मिश्र ने कहा कि मानसिक स्वास्थ्य के प्रति सरकार गम्भीर है। जिला अस्पताल में क्लीनिक का संचालन प्रत्येक सोमवार, बुधवार व शुक्रवार को होने के साथ ही समय-समय पर ब्लॉक व गांव में कैम्प लगाकर लोगों को परामर्श दिया जा रहा है।
मानसिक रोग विशेषज्ञ डॉ. एके दूबे ने कहा कि मानसिक स्वास्थ्य से व्यक्ति के सोंचने, समझने, महसूस करने और कार्य करने की क्षमता प्रभावित होती है। यह प्रत्येक आयु वर्ग को प्रभवित करता है। चिन्ता, अवसाद, बाइपोलर डिस्आर्डर, ईिटंग डिस्आर्डर व अन्य प्रकार की समस्या इसमें शामिल है। इससे बचने के लिए व्यायाम करें, मेडिटेशन, रिलैक्सेशन एक्सरसाईज, राईिटंग, टाइम मैनेजमेंट का पालन करें। इस साल विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस की थीम ‘मानसिक स्वास्थ्य और कल्याण को वैश्विक प्राथमिक बनाए’ है।
एसआईसी डॉ आलोक वर्मा, डॉ अनिल श्रीवास्तव, डॉ एके कुशवाहा, आनंद गौरव शुक्ला, डॉ राकेश कुमार, नीलम शुक्ला, अभिषेक चौधरी, आज़ाद यादव, राहुल कुमार, अविनाश सिंह, इंद्र कुमार, सुजीत कुमार, संजय पटेल सहित अन्य कार्यक्रम में शामिल रहे।

मानसिक समस्या के लक्षण
– नींद न आना, अत्यधिक नींद आना या बीच-बीच में नींद टूटना।
– तनाव, उलझन, घबराहट, बैचैनी, चिड़चिड़ापन या किसी चीज को लेकर जरूरत से ज्यादा चिन्ता करना।
– जीवन के प्रति निराश रहना व आत्महत्या के विचार आना।
– बेवजह शक करना, बिना वजह हंसना, मुस्कराना, बड़बड़ाना, बुदबुदाना व इशारे से अपने में बात करना।
– भूत, प्रेत, देवी-देवता, जिन्न आदि की छाया का भ्रम होना।
– क्षमता से अधिक बड़ी बातें करना व हिंसक व उग्र व्यवहार करना।
– किसी कार्य को बार-बार करना व जरूरत से ज्यादा सफाई करना।
उम्र के साथ याददाश्त में कमी होना।
– बच्चों का पढ़ाई लिखाई में ध्यान न लगना, जरूरत से ज्यादा शरारत व एकाग्रता की कमी।
– मिर्गी, बेहोशी या अन्य किसी प्रकार के दौरे आना।
– नशीले पदार्थो का सेवन, उससे उत्पन्न समस्याओं जैसे मारपीट, गुस्सा, चिड़चिड़ापन, काम पर ध्यान न देना।
– पुरूषार्थ में कमी व धात से सम्बंधित समस्या।

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