बस्ती,प्रजातंत्र के मूल भावना की स्थापना के लिये छत्रपति साहू जी महाराज ने किया आजीवन संघर्ष-डा. वी.के. वर्मा
बस्ती,प्रजातंत्र की मूल भावना की स्थापना के लिये आजीवन संघर्ष करने वाले छत्रपति साहू जी महाराज को उनकी 148 वीं जयन्ती पर याद किया गया। कुर्मी महासभा द्वारा सरदार पटेल संस्थान में रविवार संस्थान के सभागार में उनकी प्रतिमा पर मार्ल्यापण कर योगदान पर विमर्श किया गया।
संस्थान के महासचिव एवं कुर्मी महासभा जिलाध्यक्ष डा. वी.के. वर्मा ने कहा कि छत्रपति साहू महाराज ऐसे व्यक्ति थे, जिन्होंने राजा होते हुए भी दलित और शोषित वर्ग के कष्ट को समझा और सदा उनसे निकटता बनाए रखी। उन्होंने दलित वर्ग के बच्चों को मुफ्त शिक्षा प्रदान करने की प्रक्रिया शुरू की थी। गरीब छात्रों के छात्रावास स्थापित किये और बाहरी छात्रों को शरण प्रदान करने के आदेश दिए। साहू महाराज के शासन के दौरान ‘बाल विवाह’ पर ईमानदारी से प्रतिबंधित लगाया गया। उन्होंने अंतरजातीय विवाह और विधवा पुनर्विवाह के पक्ष में समर्थन की आवाज उठाई थी। इन गतिविधियों के लिए महाराज साहू को कड़ी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा। साहू महाराज ज्योतिबा फुले से प्रभावित थे और लंबे समय तक ‘सत्य शोधक समाज’, फुले द्वारा गठित संस्था के संरक्षण भी रहे। ऐसे महापुरूषों से प्रेरणा लेने की जरूरत है।कार्यक्रम में कुर्मी महासभा के प्रदेश संगठन सचिव डा. आर.के. सिंह पटेल, पूर्व मण्डल अध्यक्ष ओम प्रकाश चौधरी, डा. बद्री चौधरी, कृष्ण चन्द्र चौधरी, कमलेश चौधरी, विद्यासागर चौधरी, राम दयाल, राम पाल, श्यामचन्द्र, प्रवीन कुमार, मनसाराम आदि ने कहा कि छत्रपति साहू महाराज ने दलित और पिछड़ी जाति के लोगों के लिए विद्यालय खोले और छात्रावास बनवाए। इससे उनमें शिक्षा का प्रचार हुआ और सामाजिक स्थिति बदलने लगी। परन्तु उच्च वर्ग के लोगों ने इसका विरोध किया। वे छत्रपति साहू महाराज को अपना शत्रु समझने लगे। उनके पुरोहित तक ने यह कह दिया कि- ‘आप शूद्र हैं और शूद्र को वेद के मंत्र सुनने का अधिकार नहीं है। छत्रपति साहू महाराज ने इस सारे विरोध का डट कर सामना किया। जयन्ती अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में रामदयाल, अरविन्द कुमार चौधरी, प्रवीन कुमार चौधरी, अमर प्रकाश पटेल, प्रेमचन्द्र पटेल वर्मा, आलोक चौधरी, प्रिन्स वर्मा, सचिन, रवि प्रताप चौधरी, दयाराम, अवनीश, चरणदास आदि शामिल रहे।
संस्थान के महासचिव एवं कुर्मी महासभा जिलाध्यक्ष डा. वी.के. वर्मा ने कहा कि छत्रपति साहू महाराज ऐसे व्यक्ति थे, जिन्होंने राजा होते हुए भी दलित और शोषित वर्ग के कष्ट को समझा और सदा उनसे निकटता बनाए रखी। उन्होंने दलित वर्ग के बच्चों को मुफ्त शिक्षा प्रदान करने की प्रक्रिया शुरू की थी। गरीब छात्रों के छात्रावास स्थापित किये और बाहरी छात्रों को शरण प्रदान करने के आदेश दिए। साहू महाराज के शासन के दौरान ‘बाल विवाह’ पर ईमानदारी से प्रतिबंधित लगाया गया। उन्होंने अंतरजातीय विवाह और विधवा पुनर्विवाह के पक्ष में समर्थन की आवाज उठाई थी। इन गतिविधियों के लिए महाराज साहू को कड़ी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा। साहू महाराज ज्योतिबा फुले से प्रभावित थे और लंबे समय तक ‘सत्य शोधक समाज’, फुले द्वारा गठित संस्था के संरक्षण भी रहे। ऐसे महापुरूषों से प्रेरणा लेने की जरूरत है।कार्यक्रम में कुर्मी महासभा के प्रदेश संगठन सचिव डा. आर.के. सिंह पटेल, पूर्व मण्डल अध्यक्ष ओम प्रकाश चौधरी, डा. बद्री चौधरी, कृष्ण चन्द्र चौधरी, कमलेश चौधरी, विद्यासागर चौधरी, राम दयाल, राम पाल, श्यामचन्द्र, प्रवीन कुमार, मनसाराम आदि ने कहा कि छत्रपति साहू महाराज ने दलित और पिछड़ी जाति के लोगों के लिए विद्यालय खोले और छात्रावास बनवाए। इससे उनमें शिक्षा का प्रचार हुआ और सामाजिक स्थिति बदलने लगी। परन्तु उच्च वर्ग के लोगों ने इसका विरोध किया। वे छत्रपति साहू महाराज को अपना शत्रु समझने लगे। उनके पुरोहित तक ने यह कह दिया कि- ‘आप शूद्र हैं और शूद्र को वेद के मंत्र सुनने का अधिकार नहीं है। छत्रपति साहू महाराज ने इस सारे विरोध का डट कर सामना किया। जयन्ती अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में रामदयाल, अरविन्द कुमार चौधरी, प्रवीन कुमार चौधरी, अमर प्रकाश पटेल, प्रेमचन्द्र पटेल वर्मा, आलोक चौधरी, प्रिन्स वर्मा, सचिन, रवि प्रताप चौधरी, दयाराम, अवनीश, चरणदास आदि शामिल रहे।
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