बस्ती, डेंगू मच्छर से क्या क्या बीमारी पैदा होती हैं आईए जाने (डॉ0 वी,के,वर्मा) से

    डेंगू एक मच्छर जनित वायरल इंफेक्शन या डिजीज है। यह एडीज मच्छर के काटने से होता है। डेंगू होने पर तेज बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों एवं जोड़ों में दर्द, त्वचा पर चकत्ते आदि निकल आते हैं। डेंगू बुखार को हड्डी तोड़ बुखार भी कहते हैं। हालांकि, ये वायरस 10 दिनों से अधिक समय तक जीवित नहीं रहते हैं। संक्रमण गंभीर रूप ले लेता है, तो रक्तस्राव और ब्लड प्रेशर में अचानक गिरावट, आ जाती है यहां तक कि पीड़ित व्यक्ति की मृत्यु भी हो सकती है। डेंगू के बारे में हमने आयुष चिकित्साधिकारी डा. वी.के. वर्मा से बातचीत किया। उन्होने बताया डेंगू का कोई खास उपचार उपलब्ध नहीं है। लक्षणों को पहचानकर ही आप इस पर काबू पा सकते हैं। एडीज मच्छर या डेंगू प्रभवित मरीजों वाले क्षेत्र में रहने वालों, कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता व प्लेटलेट्स कम होने पर डेंगू होने का खतरा बढ़ जाता है। ये मच्छर दिन में ही काटते हैं।

डेंगू के लक्षण
डेंगू हल्का या गंभीर दोनों हो सकता है। ऐसे में इसके लक्षण भी अलग-अलग नजर आते हैं। खासतौर से बच्चों और किशोरों में माइल्ड डेंगू होने पर कई बार कोई लक्षण नजर नहीं आते हैं। संक्रमित होने के बाद डेंगू के हल्के लक्षण चार से सात दिनों के अंदर नजर आने लगते हैं। तेज बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों, हड्डियों और जोड़ों में दर्द, उल्टी, जी मिचलाना, आंखों में दर्द, त्वचा पर लाल चकत्ते, ग्लैंड्स में सूजन आदि इसके लक्षण हैं।

हालांकि, गंभीर मामलों में रक्तस्राव होने लग जाता है। इसमें, रक्त वाहिकाएं क्षतिग्रस्त हो जाती हैं और रक्त में प्लेटलेट की संख्या तेजी से कम होने लगती है। ऐसी स्थिति में निम्न लक्षण नजर आ सकते हैं। गंभीर पेट दर्द, लगातार उल्टी, मसूड़ों या नाक से रक्तस्राव, मूत्र, मल या उल्टी में खून आना, त्वचा के नीचे रक्तस्राव होना, जो चोट जैसा नजर आ सकता है, सांस लेने में कठिनाई थकान महसूस करना, चिड़चिड़ापन या बेचैनी आदि लक्षणों से डेंगू की गंभीरता का अंदाजा लगा सकते हैं। प्लेटलेट्स ज्यादा कम होने पर थ्रम्बोसाइटोपेनिया नामक बीमारी हो जाती है। ऐसे में इंटरनल ब्लीडिंग होने लगता है। यूरिन में ब्लड आना, स्टूल में ब्लड आना, उल्टी के दौरान ब्लड आना इसके लक्षण हैं। ऐसी सूरत में प्लेटलेट्स चढ़ाना ही एक उपाय बचता है।

डेंगू का इलाज
डेंगू के लिए कोई खास दवा या सटीक इलाज उपलब्ध नहीं है। बुखार, दर्द को नियंत्रित करने के लिए पेनकिलर जैसे पारासिटामोल दवा ली जा सकती है। शरीर को हाइड्रेटेड रखना जरूरी होता है। डेंगू को कंट्रोल में रखना एक सबसे महत्वपूर्ण तरीका है। ऐसे में पर्याप्त मात्रा में स्वच्छ पानी पीना चाहिए। हालांकि, गंभीर लक्षणों वाले मरीजों को अस्पताल में भर्ती कराने की जरूरत होती है। अत्यधिक गंभीर मामले में मरीज को नसों में तरल पदार्थ यानी इंट्रावेनस फ्लूइड या इलेक्ट्रोलाइट सप्लीमेंट दी जाती है। गैस, दर्द, एंटीबायटिक, पेनकिलर, इंजेक्शन ज्यादा लेने से प्लेट्लेट्स तेजी से घटने लगते हैं। खुद से एस्पिरिन या इबुप्रोफेन जैसी दवाओं का सेवन भूलकर भी ना करें, क्योंकि ये रक्तस्राव के जोखिम को बढ़ा सकते हैं।

घरेलू उपाय
प्लेटलेट्स बढ़ाने के लिये गिलोय रस, पपीता की नई पत्तियां, बकरी का दूध, नारियल पानी, अनार दाना, किवी फल ह्वीटग्रास, 20-20 एमएल सुबह शाम एलोविरा रस, तुलसी, आधा गिलास कद्दू का जूस, मछली का तेल ज्यादा कारगर होते हैं।

कैसे करें बचाव
डेंगू एक संचारी रोग है जो मच्छरों द्वारा एक इंसान से दूसरे इंसान में फैलता है। इसके लिये कोई वैक्सीन उपलब्ध नहीं है ऐसे में बचाव का सिर्फ एक तरीका है खुद को मच्छरों से बचाकर रखना। आप मॉस्किटो रेपलेंट्स, मच्छरदानी का इस्तेमाल करें। अपने घर के दरवाजे और खिड़कियों को शाम होने से पहले बदं कर दें। शरीर को पूरी तरह से कवर करने वाले कपड़े पहनें। अपने आसपास पानी इकट्ठा न होने दें। कूलर का पानी बदलते रहें। गमलों, टूटे फूटे बर्तनों, पुराने टायरों, जानवरों के भोजन के पात्र, प्लास्टिक के डिब्बों आदि में पानी न इकट्ठा होने दें। पानी को ढंक कर रखें। ऐसी जगहों पर ही मच्छर अंडे देते हैं। यदि कोई खुला जल स्रोत है, जिसे आप हटा नहीं कर सकते हैं, तो उसे या तो ढंक दें या फिर उपयुक्त कीटनाशक अप्लाई करें।

होम्योपैथी में है रामबाण इलाज
इयूपिटोरियम पर्फ, आरसेनिक एलबम, चाइना, नाइट्रम्योर, एकोनाइट, बेलाडोना, रसटास्क, डलकामारा, नक्सबोम दवायें लक्षण के अनुसार उचित पॉवर में सक्षम चिकित्सक की देखरेख में ली जा सकती हैं। होम्योपैथी सरल, सहज और आसानी से उपलब्ध होने वाली सस्ती चिकित्सा पद्धति है जो समय रहते शुरू की जाये तो बड़ी क्षति को रोकने में सक्षम है।

इक्सपर्ट परिचय
डा. वी.के. वर्मा, जिला अस्पताल बस्ती में तैनात आयुष विभाग के नोडल अधिकारी हैं। आपने करीब 35 साल के चिकित्सा अनुभवों के आधार पर लाखों रोगियों का सफल इलाज किया है। इन्होने बस्ती से फैजाबाद मार्ग पर पटेल एस.एम.एच. हॉस्पिटल एवं पैरामेडिकल कालेज, बसुआपार में डा. वी.के. वर्मा इन्स्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस सहित कई विद्यालयों की स्थापना की है। खास बात ये है कि इनके अस्पताल में दवाओं के अतिरिक्त रोगियों से कोई चार्ज नही लिया जाता। दवाओं के भुगतान में भी डा. वर्मा गरीबों, पत्रकारों, साहित्यकारों की मदद किया करते हैं। इनकी सेवाओं या परामर्श के लिये इस नम्बर पर संपर्क किया जा सकता है। मो.न. 9415163328

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